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गधा और घोड़ा

एक घोड़े का बच्चा गलती से गधों के झुँड मे चला गया, धीरे -2 वह बच्चा बड़ा होता गया और अपने आप को गधो के साथ पाकर अपने आप को भी गधा समझता रहा...

Tuesday 17 February 2015

▶जो बोलो📢सोच समझ कर बोलो☜

एक लड़के ने अपने दोस्त की निंदा की उसे काफी बुरा भला कहा, लेकिन बाद में उसे अपनी गलती का अहसास हुआ ,लेकिन ओ हिम्मत नही जुटा पाया कि अपने दोस्त से माफ़ी माँग सके, इसीलिए वो झमा मागँने मंन्दिर गया |
                 वहाँ उसने सारी बात उस मंन्दिर के पंडित को बताई,
पंडित ने कहा तुम एेसा करो कि पंखो से भरा एक ठेला शहर के बीचों-बीच बिखेर दो |
           उसने एेसा ही किया,और वापस आकर मंन्दिर के पुजारी से बोला कि आपने जो कहा था मैने वेसा ही किया |
          अब पुजारी ने उससे कहा की तुम एेसा करो कि तुमने जितने भी पंख बिखेरे है, उनको दुबारा से बटोर के लाओ, उसने बहुत कोशिश की लेकिन सारे पंख बटोरने में कामयाब नहीं हुआ, क्योकि अधिकतर पंख हवा के साथ कहीं और उड़ गये थे|
           "ओ निराश" हो कर वापस लोटा और बोला कि में सारे पंख बटोरने में कामयाब नहीं हुआ |
               पुजारी ने कहा की जिस तरह एक बार पंख, ठेले से निकलने के बाद तुम उसे ठेले में वापस नहीं ला पाएे तो कैसे तमने सोच लिया की तुमने जो कुछ भी अपने दोस्त को कहा वो वापस ला सकते हो, इसिलिए जो भी बोलो सोच-समझ कर बोलो|
         हम सब अक्सर देखते और सुनते है,कि कुछ लोग बिना कुछ सोचे-समझे किसी को भी कुछ भी कह देते है,और फिर बाद में रोते फिरते हैं कि यार मेंने यह क्या कर दिया,अबे भाई मेरे,जब रोना ही था तो साले बोला ही क्यों था,उस समय तो बड़ा शेर बन रहा था कि जो करना हो कर ले मेरा,तेरे जैसे छत्तीस अपनी जेब में रखता हुँ,तु कुछ नहीं कर सकता मेरा,जो उखाड़ना हो उखाड़ ले, तेरी....???????,तो अब क्या हो गया,अब क्यों गीदड़ बन गया कहाँ गया ओ शेरो वाला दिल,एेसा इंसान,साला किस काम का जो खुद ही बोले,और खुद ही रोये .......!

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