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गधा और घोड़ा

एक घोड़े का बच्चा गलती से गधों के झुँड मे चला गया, धीरे -2 वह बच्चा बड़ा होता गया और अपने आप को गधो के साथ पाकर अपने आप को भी गधा समझता रहा...

Sunday 22 February 2015

▶मुफ्त में साला कुछ नहीं मिलता🆗🆕

बात उस समय की है,जब भारत जैसे अनेक देशों में राजाओं का शासन हुआ करता था, अपनी प्रजा की खुशहाली के राजाओं द्वारा कई नीतियाँ बनाई जाती थी,जो राजा और प्रजा दोनों को मान्य होती थी|

       एेसे ही एक ऱाजा थे,जिन्होंने अपनी प्रजा के लिए कुछ करने की सोची,और अपने सलाहकारों को बुला कर उनसे बीते इतिहास की सारी समझदारी भरी बातें लिखने को कही,ताकि वह उन्हें अाने वाली पीढ़ियों तक पहुँचा सके|

                      सलाहकारों ने काफ़ी मेहनत कर समझदारी भरी बातों पर कई किताबें लिखीं, और उन्हें राजा के सामने पेश किया|
            राजा को वे किताबें कुछ ज्यादा ही भारी-भरकम लगीं|राजा ने कहा, लोग इन्हें पढ़ नहीं पाएँगे, इसलिये इन्हें छोटा करो|सलहकार चलें गए और जब वापस आएे,तो उनके पास केवल एक ही किताब थी|लेकिन राजा को यह भी काफी मुश्किल लगी|सलाहकारों ने उसे और छोटा करने की कोशिश की,और इस बार वो केवल एक chapter लेकर अाए|राजा को यह भी काफी लंबा लगा,तथा अपने सलाहकारों से कहा कि इसे और छोटा करो|तब सलाहकारों ने उसे और छोटा कर,इस बार केवल एक पन्ना राजा के सामने पेश किया,लेकिन राजा को यह पन्ना भी काफी लंबा लगा|आखिरकार सलाहकारों ने उसे और छोटा किया और इस बार केवल एक वाक्य लिख कर लाए, और राजा इससे संतुष्त हो गया,और उसने कहा कि यही वो वाक्य है,जिसे हमें और तुम्हें अपनी अाने वाली पीढ़़ियों तक पहुंचाना है,और यह वाक्य है"भोजन मुफ्त में नहीं मिलता"
          कितना अच्छा वाक्य हैं, सच में अगर हम यह वाक्य अपनी आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने में सफल हो जाए,तो कितना अच्छा मैसेज जाएगा हमारी पीढ़ियों के बीच!अगर हम उन तक यह मैसेज पहुँचानें में सफल हो, कि इस संसार में अगर कछ पाना हैं,तो हम बिना मेहनत किए हुएे कुछ भी हासिल नहीं कर सकते,हम तभी फसल काटने की सोच सकते हैं,जब हमने कुछ बोया हो,   
           

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