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गधा और घोड़ा

एक घोड़े का बच्चा गलती से गधों के झुँड मे चला गया, धीरे -2 वह बच्चा बड़ा होता गया और अपने आप को गधो के साथ पाकर अपने आप को भी गधा समझता रहा...

Saturday 31 October 2015

ज्ञान कुंड अकबर और बीरबल

       
एक बार अखबर ओर बीरबल जंगल में शिकार खेलने गए , शिकार खेलते समय अखबर की उगंली थोड़ी सी कट गई , ओर अखबर दर्द के कारण चिल्लाने लगे , उनकी यह हालत देख उनके सेनिक डर गए , ओर सोचने लगे की कही महाराज अपना गुस्सा हम सेनिको पर न उतार दें , ओर यही सब सोचकर वो महाराज से कहने लगे कि महाराज आपके साथ ऐसा नही होना चहिए था , आपके साथ बहुत गलत हुआ , ऊपरवाले को आपके साथ ऐसा नही करना चहिए , उन्हें आपका ख्याल रखना चहिए |
         दूर खड़े बीरबल यह सारी बाते सुन रहे थे , वे अखबर के सामने जा कर बोले महाराज आपके साथ जो हुआ अच्छा हुआ , क्योकि ऊपरवाला जो करता है सही करता है , ओ किसी के साथ बुरा नही करता , वो जो करता है अच्छा ही करता है | बीरबल की यह बात अखबर को बहुत बुरी लगी और उन्हे गुस्सा आ गया , गुस्से मे उन्होने अपने सेनिको को हुक्म दिया की इसे मेरी नजरो से दुर कर दो , इसे मेरी कोई फिक्र नही , ओर इसे इसी समय राजमहल ले जाओ , में कल इसका फैसला करूगाँ , बीरबल को राजमहल ले आया गया , और अखबर अकेले शिकार खेलने चले गऐ |
                    शिकार खेलते हुए अखबर जगंल के काफी अंदर तक चले गऐ , ओर महल वापस आने रास्ता भूल गऐ | वहाँ उन्हे आदिवासियो ने पकड़ लिया , ओर अपने साथ ले गऐ , ओर अपनी देवी के सामने उनकी बलि चढ़ाने का फैसला किया | रात हुई तो अखबर को देवी की मूर्ति के सामने बाँधकर खड़ा किया गया , अखबर बेचारे काफी डरे हुऐ थे और ऊपरवाले से यही विनती कर रहे थे , कि किसी तरह उनकी जान बच जाऐ | तभी उन आदिवासियो मे से किसी एक की नजर अखबर की कटी हुई उँगली पर पड़ी , और वो चिल्ला उठा और बोला कि हम इस इंसान की बलि नही चढ़ा सकते ये बलि चढ़ाने योग्य नही है , क्योकि इसकी एक उँगली कटी है |
       फिर उसके बाद अखबर को छोड़ दिया जाता हैं , तब अखबर को अहसास होता है, कि आज तो मेरी जान ही चली जाती शुक्र है, इस कटी उगंली का जिसने मेरी जान बचा ली, तभी अखबर को बीरबल की कही बात याद आती कि ऊपरवाला जो करता है सही करता है, फिर उसे अपनी गलती का अहसास होता है कि उसने बीरबर के साथ सही नही किया उसे सबके सामने डाँटा,

       अखबर अपने महल आते है ओर सेनिको से कहते है कि बीरबल को मेरे सामने लाया जाया, बीरबल को सामने लाया जाता है ओर अखबर बीरबल के सामने आकर कहते है कि बीरबल मुझे क्षमा कर दो मैंने तुम्हारे साथ सही नही किया तुमने सही कहा था कि ऊपरवाला जो करता है सही करता है, आज अगर मेरी उंगली न कटी होती तो मे आज यहाँ न होता ,
            ये सुनते ही बीरबल थहाँके मार के हँसते हुए  बोलते है महाराज इसमे आपकी गलती नही है आपने जो किया सही किया वरना अगर में आपके साथ होता तो वो मेरी बली चढ़ा देते |
             NOTE :-  यही बात हमारी जिदंगी पर भी लागू होती है , हम से अधिकतर लोग ऐसे होते है जो छोटी-२ बातों पर भगवान को कोसने से बाज नही आते , जब देखो जब हमेशा यही कहेगें की मेरी तो सा@@ किस्मत ही खराब करने कुछ जाता हुँ , हो कुछ ओर जाता है , ऊपरवाला भी नही चहाता की में यह काम करूँ |  
       अरे भाई जितना समय तु उसको कोसने में लगाता है, उसमे से अगर 2 min. निकाल कर यह सोचे की यह मेरे ही साथ क्यों होता और अगर होता ही है तो क्यों होता है , तो क्या तुझे इसका जवाब नही मिलेगा ? |

           
 
     
          

Thursday 23 April 2015

lakshya ℹ◀🔗☜☜☜


बात उस समय की है जब मैं 12th class में था , मेरा एक  classmate था उसके father chandni chawk में बोझा ढोने का काम करते थे उसकी इच्छा थी की ओ कुछ ऐसा करे की उसकी family उस पर खुश रहे , इसके लिए ओ चाहता था की ओ exam में अच्छे number ला कर अपनी family को  ख़ुश करे , लकिन उसके लिए यह काम इतना असान नही था क्योंकि उसकी family के पास इतना पैसा नही था की ओ उसको एक अच्छे tution teacher के पास पढ़ा सके , बचपन से ही उसने hindi medium में अपनी पढाई की थी इस कारण उसके लिए यह और भी मुश्किल था इस कारण ओ हमेशा classroom में परेशान सा रहता था
         एक बार हम दोनों बस से school जा रहे थे तो मेने उससे ऐसे ही पूछ लिया की यार तु किसी से बात क्यों नही करता हमेशा कुछ न कुछ सोचता रहता है , इसका कारण क्या है , उसने कहा कुछ नही यार ऐसे ही मन नही करता , लेकिन जब मैने दुबारा उससे पूछा तो उसने अपनी सारी परेशानी बता दी , मैने भी सोचा की यार दोस्त है तो इसकी मदद भी करनी चाहिए और मैने उससे कहा की तू school चल तेरी प्रोब्लम में solve कर दूँगा ।
               लेकिन मुझे समझ नही अ रहा था की में आखिर करूँ तो क्या करूँ की इसकी प्रॉब्लम solve हो जाए ।
                  करीब 1 घंटे बाद हम बस से उतरे और स्कूल की तरफ चलने लगे लेकिन मेरे मन में अभी भी यही चल रहा था की में आखिर करूं तो क्या करूं , की इसकी प्रोब्लम solve हो जाए की तभी मुझे एक krishan भगवान का पोस्टर दिखाई दीया जिस पर बड़े-2 शब्दों में भागवत गीता पाठ लिखा था और उसके नीचे छोटे-2 शब्दों में भागवत गीता से related कुछ और शब्द लिखे थे जो साफ नजर नहीं आ रहे थे मेंने अपने दोस्त से पूछा की तुझे उस पोस्टर पर krishan भगवान की फोटो नजर आ रही है उसने कहा हाँ नजर आ रही है फिर मैने उससे पूछा की उस पोस्टर पर क्या लिखा है उसने कहा की इस पर भगवत गीता पाठ लिखा है और उसके नीचे उससे realted कुछ और details लिखी हैं जो साफ नजर नहीं अ रहीं हैं                       जेस़े ही उसने इतना बोला मैनें तुरंत उससे कहा , की मिल गया जवाब उसने कहा में समझा नही तब मैने उसे कहा की लक्ष्य जितना बड़ा होता है उसे हासिल करना उतना ही असान होता है ।

        Note :- उसने कहा कैसे , फिर मैने उसे अराम से कहा की जब मैने तुमसे krishan भगवान की फोटो और उस पर लिखे बड़े-2 शब्दों के बारे में पूछा तो तुमने झट से बता दिया की यह क्या है और क्या लिखा है क्योंकि यह बड़े थे और तुम इससे दूर होते हुए भी इसे स्पष्ट तौर पर देख सकते हो लेकिन जब मैने तुमसे उसके नीचे लिखे छोटे-2 शब्दों के बारे में पूछा तो तुम्हरे पास इसका कोई जवाब नही था क्योंकि ओ छोटे थे और तुम भी उससे दूर थे इसीलिए ओ तुम्हें स्पष्ट तौर पर दिखाई नही दिया।

Tuesday 10 March 2015

Way of life ( बड़ो के साथ ) ♛▓▒▓▒▓▒▓▒▓▒

ज़िंदगी के 10 नियम : दलाई लामा 

1) हमेशा 3 "R" को follow करो
♚ अपनी Respect
♚ दूसरो की Respect
♚ अपने हर काम की Responsibility,  चाहे छोटा हो या बड़ा
2) रोज कुछ अकेले वक्त जरूर बिताएं ।
3) हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि बड़ी उपलब्धि खतरे उठा कर ही हासिल होती है ।
4) जब भी हारें,  हार से सबक लेना न भूलें ।
5) जैसे ही आपको पता चले, कि आपसे कोई गलती हो गई है, तो उसे फौरन सुधारने मे जुट जाएं ।
6) हमेॆशा बदलाव को तैयार रहें लेकिन अपने मूल्यों से समझौता न करें ।
7) याद रखें कि अपने मन - मुताबिक नतीजे न मिलना भी कभी - कभार किस्मत का बेहतरीन चमत्कार सबित होता है ।
8) धरती और पर्यावरण का ध्यान रखें ।
9) साल में एक बार ऐसी जगह जरूर जाएें जहाँ आप पहले नही गये ।
10) अपनी कामयाबी का आंकलन इस पैमाने पर करें कि कामयाब होने के आपने क्या खोया है । 

Sunday 22 February 2015

▶मुफ्त में साला कुछ नहीं मिलता🆗🆕

बात उस समय की है,जब भारत जैसे अनेक देशों में राजाओं का शासन हुआ करता था, अपनी प्रजा की खुशहाली के राजाओं द्वारा कई नीतियाँ बनाई जाती थी,जो राजा और प्रजा दोनों को मान्य होती थी|

       एेसे ही एक ऱाजा थे,जिन्होंने अपनी प्रजा के लिए कुछ करने की सोची,और अपने सलाहकारों को बुला कर उनसे बीते इतिहास की सारी समझदारी भरी बातें लिखने को कही,ताकि वह उन्हें अाने वाली पीढ़ियों तक पहुँचा सके|

                      सलाहकारों ने काफ़ी मेहनत कर समझदारी भरी बातों पर कई किताबें लिखीं, और उन्हें राजा के सामने पेश किया|
            राजा को वे किताबें कुछ ज्यादा ही भारी-भरकम लगीं|राजा ने कहा, लोग इन्हें पढ़ नहीं पाएँगे, इसलिये इन्हें छोटा करो|सलहकार चलें गए और जब वापस आएे,तो उनके पास केवल एक ही किताब थी|लेकिन राजा को यह भी काफी मुश्किल लगी|सलाहकारों ने उसे और छोटा करने की कोशिश की,और इस बार वो केवल एक chapter लेकर अाए|राजा को यह भी काफी लंबा लगा,तथा अपने सलाहकारों से कहा कि इसे और छोटा करो|तब सलाहकारों ने उसे और छोटा कर,इस बार केवल एक पन्ना राजा के सामने पेश किया,लेकिन राजा को यह पन्ना भी काफी लंबा लगा|आखिरकार सलाहकारों ने उसे और छोटा किया और इस बार केवल एक वाक्य लिख कर लाए, और राजा इससे संतुष्त हो गया,और उसने कहा कि यही वो वाक्य है,जिसे हमें और तुम्हें अपनी अाने वाली पीढ़़ियों तक पहुंचाना है,और यह वाक्य है"भोजन मुफ्त में नहीं मिलता"
          कितना अच्छा वाक्य हैं, सच में अगर हम यह वाक्य अपनी आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने में सफल हो जाए,तो कितना अच्छा मैसेज जाएगा हमारी पीढ़ियों के बीच!अगर हम उन तक यह मैसेज पहुँचानें में सफल हो, कि इस संसार में अगर कछ पाना हैं,तो हम बिना मेहनत किए हुएे कुछ भी हासिल नहीं कर सकते,हम तभी फसल काटने की सोच सकते हैं,जब हमने कुछ बोया हो,   
           

Thursday 19 February 2015

🚼🚼🚼माँ ☜

                      एक माँ घर के सारे काम करती है,झाडूं-पोछा लगाती है, खाना बनाती है,अपने पति के कपडे़ धोती है,मतलब सुबह से लेकर शाम तक घर का जितना भी काम होता है,"ओ सारा"काम बस वही औरत करती है,सुबह से लेकर शाम तक घर के सारे छोटे तथा बड़े काम खत्म करने के बाद जब थकी हारी ओ माँ रात को सोने के लिए चली जाती है, आधी रात को अगर उसका बच्चा रोए तो क्या उसे उठना चाहिए ???????
                    अगर हम वसूलो की बात करे तो उस औरत को शायद नहीं उठना चाहिए,क्योंकि सभी को अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीने का हक है,और इसके लिए ओ एक नौकरानी रख सकती है,जो उसके बच्चे की देखभाल कर सके आजकल होता भी यही है,और इसमें कोई बुराई भी नही है,और लगभग हर कोई कर भी यही रहा है|लेकिन नही"ओ माँ उठती है और अपने बच्चे की जरूरते पूरी करके फिर से सोने चली जाती है,
     
                   आखिर ओ उठती क्यों है,इसके पीछे कारण क्या हैं:-
1) प्यार - वो प्यार करती है अपने बच्चो से,
2) फर्ज - उसका फर्ज है,कि वो बच्चे की देखभाल करे और इसे वो अच्छी तरह जानती है,
3) जिम्मेदारी - एक माँ कि जिम्मेदारी बनती है, कि उसके बच्चे को कोई नुक्सान ना पहुँचे|
           हममें से अक्सर पता नहीं कुछ लोगों को क्या हो जाता है,हमें प्यार और जिम्मेदारी तो याद रहती है,लेकिन हम अपना फर्ज भूल जाते है,और अपने चाँद से टुकड़े को किसी और के हवाले छोड़ देते हैं,खेर, इसके बारे मे, कुछ बोलना नहीं चाहूँगा, क्योकि यह बात किसी को अच्छी तो किसी को बुरी भी लग सकती है, हाँ, लेकिन आप सब की राय अवश्य लेना चाहूँगा???????????????      
   

Wednesday 18 February 2015

➡प्रेरणा

दो भाई थे, उनमें से एक शराबी और नशीली दवाओं का आदी था, उसकी कोई इज्जत नही करता था वो जहाँ जाता लोग उससे दूर चले जाते थे, वो इतना बिगड़ चुका था कि अपने परिवार वालो को मारता-पीटता था।
              दूसरा भाई एक ईमानदार किस्म का व्यक्ति था और एक अच्छी कंम्पनी में काम करता था, उसका एक अच्छा भला परिवार था, दोनों एक ही माँ -बाप द्वारा पाले-पोसे गए थे एक ही माहौल में पले-बढ़े दोनों भाई आखिर इतने अलग कैसे हो गए यह कोई नहीं जानता था।
                   जब पहले भाई से पूछा गया आप बेरोजगार हैं, शराबी हैं, अपनेे परिवार वालो को मारते-पीटते है, यह सब आप क्यों करते हैं और कहाँ से सीखा..? उसने जवाब दिया "मेरे पिता से सीखा" मेरे पिता शराबी थे, अपने परिवार के लोगों को पीटा करते थे गलियां दियां करते थे, तो फिर आप मुझसे क्या बनने की उम्मीद कर सकते है।

           दूसरे भाई से जब पूछा गया, "आप सारे सही काम करते हैं आपकी लोग इज़त करते हैं, आपने यह सब कहाँ से सीखा?" तो जरा सेचिए उसने क्या जवाब दिया होगा "...?
                लड़का बोला जब में छोटा था तो अक्सर अपने पिता को देखता था, वो हमेशा शराब पीकर अाते थे, और परिवार के लोगों को मारते - पीटते थे "मैंने तभी से सोच लिया कि में उनके जैसा नहीं बनूगाँ!
      Note:-  यही नियम हमारी जिन्दगी में भी लागू होता है, हम रोज अपने आस-पास अच्छी और बुरी चीज़ें देखते है, तथा उन्हें अपने जीवन में उतारने की कोशिश करते हैं, इसमे कुछ भी गलत नहीं है की हम क्या कर रहें हैं, बल्कि मायने यह रखता है कि हम उसे किस प्रकार अपने जीवन में उतार रहें हैं।
                 

           


Tuesday 17 February 2015

▶जो बोलो📢सोच समझ कर बोलो☜

एक लड़के ने अपने दोस्त की निंदा की उसे काफी बुरा भला कहा, लेकिन बाद में उसे अपनी गलती का अहसास हुआ ,लेकिन ओ हिम्मत नही जुटा पाया कि अपने दोस्त से माफ़ी माँग सके, इसीलिए वो झमा मागँने मंन्दिर गया |
                 वहाँ उसने सारी बात उस मंन्दिर के पंडित को बताई,
पंडित ने कहा तुम एेसा करो कि पंखो से भरा एक ठेला शहर के बीचों-बीच बिखेर दो |
           उसने एेसा ही किया,और वापस आकर मंन्दिर के पुजारी से बोला कि आपने जो कहा था मैने वेसा ही किया |
          अब पुजारी ने उससे कहा की तुम एेसा करो कि तुमने जितने भी पंख बिखेरे है, उनको दुबारा से बटोर के लाओ, उसने बहुत कोशिश की लेकिन सारे पंख बटोरने में कामयाब नहीं हुआ, क्योकि अधिकतर पंख हवा के साथ कहीं और उड़ गये थे|
           "ओ निराश" हो कर वापस लोटा और बोला कि में सारे पंख बटोरने में कामयाब नहीं हुआ |
               पुजारी ने कहा की जिस तरह एक बार पंख, ठेले से निकलने के बाद तुम उसे ठेले में वापस नहीं ला पाएे तो कैसे तमने सोच लिया की तुमने जो कुछ भी अपने दोस्त को कहा वो वापस ला सकते हो, इसिलिए जो भी बोलो सोच-समझ कर बोलो|
         हम सब अक्सर देखते और सुनते है,कि कुछ लोग बिना कुछ सोचे-समझे किसी को भी कुछ भी कह देते है,और फिर बाद में रोते फिरते हैं कि यार मेंने यह क्या कर दिया,अबे भाई मेरे,जब रोना ही था तो साले बोला ही क्यों था,उस समय तो बड़ा शेर बन रहा था कि जो करना हो कर ले मेरा,तेरे जैसे छत्तीस अपनी जेब में रखता हुँ,तु कुछ नहीं कर सकता मेरा,जो उखाड़ना हो उखाड़ ले, तेरी....???????,तो अब क्या हो गया,अब क्यों गीदड़ बन गया कहाँ गया ओ शेरो वाला दिल,एेसा इंसान,साला किस काम का जो खुद ही बोले,और खुद ही रोये .......!

Sunday 15 February 2015

➡इसे आप क्या कहेंगें ????????????????

दुनिया मे एक आदमी की काहानी बड़ी मशहूर है | य़ह आदमी 21 साल की उम्र मे व्यपार में कामयाब नही हुआ ; 22 साल की उम्र में यह एक चुनाव हारा गया; 24 साल की उम्र में इसे फिर असफलता मिली; 26 साल की उम्र में इसकी पत्नी मर गई; 27 साल की उम्र में इसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया; 34 साल की उम्र में यह कांग्रेस का चुनाव हार गया; 45 साल की उम्र में इसे फिर सीनेट के चुनाव में हार का सामना करना पडा़; 47 साल की उम्र में यह उपराष्ट्रपति बनने में असफल ऱहा; 49 साल की आयु में इसे फिर सीनेट के एक चुनाव में हार मिली; और यही आदमी आगे चलकर 52 साल की उम्र में अमरीका का राष्ट्पति बना और इस आदमी का नाम अबा्हम लिकंन था |

                इसे आप क्या कहेगें? कुछ लोग कहेगे इनकी किस्मत अच्छी थी!  तो में उन लोगो से पूछना चाहुँगा कि यार उनकी किस्मत को साली 52 साल तक क्या हो गया था?
                इस काहनी पर मेरा point of view कहता है, कि सफलता इस बात से नही मापी जाती कि आप कितनी ऊँचाई तक पहुँचें, ब्लकि इस बात से मापी जाती है कि आप कितनी बार गिरकर उठे |

Tuesday 10 February 2015

▶five का दम💪🆗

हम सब अकसर, लोगो से सुनते है, कि यार अपनी इन्द्रियो को काबू करना सीखो, लेकिन भाई मेरे कोई बतायेगा कि ये 5 इन्द्रिया है क्या?  हर कोई कहता है कि ये 5 इन्द्रिया आँख, कान, नाक जीभ और त्वचा है,
               लेकिन मेरी नजरो मे 5  इन्द्रिया वे हैं, जो किसी भी समस्या मे किसी भी समय ( मतलब कैसे भी ) इन्सान की रझा करे यनि उसे मन से शांत करे, तथा दिमाग को अपना काम करते रहना चाहिये,उसमे कोई अड़चन नही होनी चाहिए,
              और ये 5 इन्दिया निम्न है :-
      (क्या, कब, क्यों, केसे, और कहाँ )।
अब लोग सोच रहे होगें कि कैसे तुम कह सकते हो कि ये 5 चीजे गलत हैं, और जो तुम कह रहे हो वही सच हैं
                तो मे उन लौगो से कहना चाहता हुँ, कि मे यह नही कह रहा कि ये सच है, मे सिर्फ यह कहना चहता हुँ, कि अगर इन 5 इन्द्रियो के साथ इनके जैसा ही कुछ मिला दिया जाये तो ये कुछ ज्यादा ही शक्तिशाली हो जायेगी,
               और मैने यही किया, कैसे किया नीचे बता रहा हुँ,
          1)   क्या - आखँ
          2)   क्यों - कान
          3)    कब - जीभ
          4)     कैसे - नाक
          5)    कहाँ - त्वचा
    1). जिस तरह आखँ का काम होता है कि हमे क्या देखना चाहिए क्या नही देखना चाहिए, वेसे ही हमे भी पता होना चाहिए कि क्या करे क्या न करे,
    2). कान का काम सुनना होता है और सुनकर हमे पता चलता  है कि हमने जो कुछ सुना है वो सही है या गलत है उसी तरह हमें भी कुछ करने से पहले पता होना चाहिए कि यह काम गलत है या  
सही अगर गलत है तो क्यों गलत है,
   3). जीभ का काम होता है पता करना की हम जो भी चीज खा रहे है वो खाने लायक है भी कि नही तथा इसे कब शरीर.के अन्दर डालना है उसी तरह हमे भी पता होना चाहिए कि हमे काम कब करना है,
    4). नाक का काम होता है शरीर के अन्दर किसी भी तरह मतलब कैसे भी साँस पहुँचाना उसी तरह हम जब कोई काम करे तो उसे कैसे भी पुरा करे,
     5). त्वचा का काम होता है इन चारो चीजो ( आखं, कान, नाक और जीभ ) को मिलाकर रखना इसी तरह हमे भी इन चारो चीजो ( कब, क्यों, कैसे, क्या ) को मिलाकर रखना चाहिए तभी हमे पता चलेगा कि हम यह काम कहाँ करेगें,
          उपरोक्त चीजो को जिसने भी वश मे कर लिया यानी हर परिस्थिति मे इनका उपयोग करने लगा वो मेरी नजरो मे देवता है,
          ( देवता से मतलब उससे है जो सब लोगो से बेहतर है)

      इन 5 चीजो को मिलाकर एक नई चीज बनती और वही देवता बनने का कारण है,

         अब सवाल यह उठता है कि इसे वश मे केसे करे, तो मे बता देता हुँ कि यह बहुत आसान है तुुम्हे केवल यह करना है कि तुम कुछ भी करो उसे करने से पहले यह सोच लो कि मैं क्या काम कर रहा हुँ , क्यों कर रहा हुँ , कब कर रहा हुँ , केसे कर रहा हुँ और कहाँ कर रहा हुँ ।
           जो इसे जितना बेहतर करेगा वो उतना ही बेहतर होता चला जायेगा और इस बात मे कोई शक नही कि एक दिन ओ देवता बन बेठें, ।